
एवंविधमपरमपि ज्ञात्वा मुञ्चत्यनर्थदण्डं य: ।
तस्यानिशमनवद्यं विजयमहिंसाव्रतं लभते ॥147॥
इस ही तरह के अन्य भी हैं, अनर्थ दण्ड सुजान नित ।
जो छोड़ता सब उसी का, निर्मल अहिंसाव्रत विजित ॥१४७॥
अन्वयार्थ : [य:] जो मनुष्य [एवं विधं] इस प्रकार के [अपरमपि] दूसरे भी [अनर्थदण्डं] अनर्थदण्ड को [ज्ञात्वा] जानकर [मुञ्चति] त्याग करता है [तस्य] उसके [अनवद्यं] निर्दोष [अहिंसाव्रत] अहिंसाव्रत [अनिशं] निरन्तर [विजयं] विजय को [लभते] प्राप्त करता है ।
Meaning : He who deliberately renounces all other unnecessary sins, leads his Ahimsa vow ceaselessly up to admirable victory
टोडरमल