+ सामायिक शिक्षाव्रत -
रागद्वेषत्यागान्निखिलद्रव्येषु साम्यमवलम्ब्य ।
तत्त्वोपलब्धिमूलं बहुश: सामायिकं कार्यम् ॥148॥
सब राग द्वेष निषेध पूर्वक, सभी में समभाव धर ।
तत्त्वोपलब्धि मूल हेतु, सामायिक बहु बार कर ॥१४८॥
अन्वयार्थ : [रागद्वेषत्यागात्] राग-द्वेष के त्याग से [निखिलद्रव्येषु] सभी इष्ट-अनिष्ट पदार्थों में [साम्यं] साम्यभाव को [अवलम्ब्य] अंगीकार करके [तत्त्वोपलब्धिमूलं] आत्मतत्त्व की प्राप्ति का मूलकारण ऐसा [सामायिक] सामायिक [बहुश:] बहुत बार [कार्यम्] करना चाहिए ।
Meaning : By giving up "Rag-dvesha" affection and repulsion and observing equanimity in all objects, one should prac. tise Samayika, equanimity, continuously, which brings about a realisation of the true nature of Self.

  टोडरमल