
सामायिकश्रितानां समस्तसावद्ययोगपरिहारात् ।
भवति महाव्रतमेषामुदयेऽपि चरित्रमोहस्य ॥150॥
है उदय चारित्र मोह का, पर सकल सावद्य योग के ।
परिहार से है महाव्रतवत्, दशा सामायिक कहें ॥१५०॥
अन्वयार्थ : [एषाम् सामायिकश्रितानां] यह सामायिकदशा को प्राप्त को [चारित्रमोहस्य] चारित्रमोह का [उदये अपि] उदय होने पर भी [समस्तसावद्ययोगपरिहारात्] समस्त पाप के योग का त्याग होने से [महाव्रतं भवति] महाव्रत होता है ।
Meaning : Those who have attained equanimity have com. plete vows, because of the renunciation of all sinful activities, although their Charitra-moha-karma is in operation.
टोडरमल