
सामायिकसंस्कारं प्रतिदिनमारोपितं स्थिरीकर्त्तुम् ।
पक्षार्द्धयोर्द्वयोरपि कर्त्तव्द्योऽवश्यमुपवास: ॥151॥
प्रतिदिन लिए संस्कार, सामायिक की स्थिरता निमित्त ।
पक्षार्ध दो में सुनिश्चित, कर्तव्य है उपवास नित ॥१५१॥
अन्वयार्थ : [प्रतिदिनं आरोपितं] प्रतिदिन अंगीकार किए हुए [सामायिक संस्कारं] सामायिकरूप संस्कार को [स्थिरीकर्त्तुम्] स्थिर करने के लिये [द्वयो: पक्षार्द्धयो:] दोनों पक्ष के अर्द्धभाग में [उपवास:] उपवास [अवश्यमपि कर्त्तव्य:] अवश्य ही करना चाहिए ।
Meaning : To strengthen the daily practice of Samayik a Discipline, one must observe fasting twice each fortnight.
टोडरमल