
प्रात: प्रोत्थाय तत: कृत्वा तात्कालिकं क्रियाकल्पम् ।
निर्वर्तयेद्यथोक्तं जिनपूजां प्रासुकैर्द्रव्यै: ॥155॥
फिर सुबह उठ सामायिकादि, तात्कालिक क्रिया कर ।
प्रासुक पदार्थों से करे, जिनदेव पूजा श्रुतकथित ॥१५५॥
अन्वयार्थ : [तत: प्रात: प्रोत्थाय] इसके बाद सुबह ही उठकर [तात्कालिकं क्रियाकल्पम्] प्रात:काल की सामायिकादि क्रियायें [कृत्वा प्रासुकै:] करके प्रासुक [द्रव्यै: यथोक्तं] द्रव्यों से आर्ष ग्रन्थों में कहे अनुसार [जिनपूजां निर्वर्तयेत्] जिनेन्द्रदेव की पूजा करे ।
Meaning : He should rise in the morning, perform the necessary duties of the time, and engage in worship of Jina, as pres. cribed, with Prasuk objects, .
टोडरमल