+ उपवास का फल -
इति य: षोडशयामान् गमयति परिमुक्तसकलासावद्य: ।
तस्य तदानीं नियतं पूर्णमहिंसाव्रतं भवति ॥157॥
यों सभी सावद्य रहित जो, सोलह प्रहर यों बिताता ।
हो उस समय निश्चित अहिंसा, पूर्ण व्रत उसके सदा ॥१५७॥
अन्वयार्थ : [य: इति] जो जीव इस प्रकार [परिमुक्तसकलसावद्य: सन्] सम्पूर्ण पापक्रियाओं से रहित होकर [षोडशयामान् गमयति] सोलह प्रहर व्यतीत करता है [तस्य तदानीं] उसे उस समय [नियतं पूर्णं] निश्चयपूर्वक सम्पूर्ण [अहिंसाव्रतं भवति] अहिंसाव्रत होता है ।
Meaning : He who having set himself free from all sinful activities, passes 16 Yamas (48 hours) in the above manner certainly observes the vow of Ahimsa in its thoroughness.

  टोडरमल