
भोगोपभोगमूला विरताविरतस्य नान्यतो हिंसा ।
अधिगम्य वस्तुतत्त्वं स्वशक्तिमपि तावपि त्याज्यौ ॥161॥
अणुव्रती के भोगोपभोग, निमित्त हिंसा अन्य नहिं ।
ये भी स्वशक्ति वस्तु तत्त्व, सुजान तजने योग्य ही ॥१६१॥
अन्वयार्थ : [विरताविरतस्य] देशव्रती श्रावक को [भोगोपभोगमूला] भोग और उपभोग के निमित्त से होनेवाली [हिंसा] हिंसा होती है [अन्यत: न] अन्य प्रकार से नहीं होती, इसलिए [तौ] वह दोनों [अपि] भी [वस्तुतत्त्वं] वस्तुस्वरूप [अपि] और [स्वशक्तिं] अपनी शक्ति को [अधिगम्य] जानकर अर्थात् अपनी शक्ति अनुसार [त्याज्यौ] छोड़ने योग्य हैं ।
Meaning : One with partial vows incurs Himsa arising from the use of articles of Bloga, and Upabhoga, and not otherwise. He should therefore ascertain the reality of things, and renounce these two also, in accordance with his own capacity.
टोडरमल