एकमपि प्रजिघांसुर्निहन्त्यनन्तान्यतस्ततोऽवश्यम् ।
करणीयमशेषाणां परिहरणमनन्तकायानाम्॥162॥
है एक का भी घात इच्छुक, अनन्तों का घात ही ।
नित करे इससे अहिंसक को, अनन्त कायिक त्याज्य ही॥१६२॥
अन्वयार्थ : [तत:] कारण कि [एकम्] एक साधारण शरीर को-कन्दमूलादिक को [अपि] भी [प्रजिघांसु] घात करने की इच्छा करनेवाला पुरुष [अनन्तानि] अनन्त जीवों को [निहन्ति] मारता है, [अत:] इसलिए [अशेषाणां] सम्पूर्ण [अनन्तकायानां] अनन्त काय का [परिहरणं] परित्याग [अवश्यं] अवश्य [करणीयम्] करना चाहिए ।
Meaning : The use of all Anant-Kaya vegetables must be given up, because in destroying one, infinite (one-sensed living beings) are killed.

  टोडरमल