+
अध्रुव अनुप्रेक्षा का स्वरूप
-
वरभवणजाणवाहणसयणासणदेवमणुवरायाणं ।
मादुपिदुसजणभिच्चसंबंधिणो य पिदिवियाणिच्चा ॥3॥
अन्वयार्थ :
उत्तम भवन, यान, वाहन, शयन, आसन, देव, मनुष्य, राजा, माता, पिता, कुटुंबी और सेवक आदि सभी अनित्य तथा पृथक् हो जाने वाले हैं ॥३॥