+ संयोग नश्वर है -
सामग्गिंदियरूवं, आरोग्‍गं जोव्‍वणं बलं तेजं ।
सोहग्‍गं लावण्‍णं, सुरधणुमिव सस्‍सयं ण हवे ॥4॥
अन्वयार्थ : सब प्रकार की सामग्री—परिग्रह, इंद्रियाँ, रूप, नीरोगिता, यौवन, बल, तेज, सौभाग्‍य और सौंदर्य ये सब इंद्रधनुष्‍य के समान / शाश्‍वत रहनेवाले नहीं हैं अर्थात् नश्र्वर है ॥४॥