जलबुब्बुदसक्कधणुखणरूचिघणसोहमिव थिरं ण हवे ।
अहमिंदट्ठाणाहिं, बलदेवप्पहुदिपज्जाया ॥5॥
अन्वयार्थ :
अहमिंद्र के पद और बलदेव आदिकी पर्यायें जल के बबूले, इंद्रधनुष्य, बिजली और मेघ की शोभा के समान / स्थिर रहने वाली नहीं हैं ॥५॥