दंसणभट्टा भट्टा, दंसणभट्टस्स णत्थि णिव्वाणं ।
सिज्झंति चरियभट्टा, दंसणभट्टा ण सिज्झंति ॥19॥
अन्वयार्थ : जो सम्यग्दर्शन से भ्रष्ट हैं वे ही भ्रष्ट हैं। सम्यग्दर्शन से भ्रष्ट मनुष्य का मोक्ष नहीं होता। जो चारित्र से भ्रष्ट हैं वे तो सिद्ध हो जाते हैं, परंतु जो सम्यग्दर्शन से भ्रष्ट हैं वे सिद्ध नहीं हो सकते ॥१९॥