+ कालपरिवर्तन का स्‍वरूप -
अवसप्पिणिउवसप्पिणिसमयावलियासु णिरवसेसासु ।
जादो मुदो य बहुसो, परिभमिदो कालसंसारे ॥27॥
अन्वयार्थ : यह जीव अवसर्पिणी और उत्‍सर्पिणी काल की समस्‍त समयावलियों में उत्‍पन्‍न हुआ है तथा मरा है। इस तरह इसने काल संसार में अनेक बार परिभ्रमण किया है ॥२७॥