पुत्‍तकलत्‍तणिमित्‍तं, अत्‍थं अज्‍जयदि पापबुद्धीए ।
परिहरदि दयादाणं, सो जीवो भमदि संसारे ॥30॥
अन्वयार्थ : जो जीव पुत्र तथा स्‍त्री के निमित्‍त पापबुद्धि से धन कमाता है और दयादान का परित्‍याग करता है वह संसार में भ्रमण करता है ॥३०॥