मिच्छोदयेण जीवो, णिंदंतो जोण्हभासियं धम्मं ।
कुधम्मकुलिंगकुतित्थं, मण्णंतो भमदि संसारे ॥32॥
अन्वयार्थ : मिथ्यात्व के उदय से यह जीव जिनेंद्र भगवान् के द्वारा कथित धर्म की निंदा करता हुआ तथा कुलिंग और कुतीर्थ को मानता हुआ संसार में भ्रमण करता है ॥३२॥