संसारमदिक्‍कंतो, जीवोवादेयमिति विचिंतेज्‍जो ।
संसारदुहक्‍कंतो, जीवो सो हेयमिति विचिंतेज्‍जो ॥38॥
अन्वयार्थ : संसार से छुटा हुआ जीव उपादेय है ऐसा विचार करना चाहिए और संसार के दु:खों से आक्रांत जीव छोड़ने योग्‍य हैं ऐसा चिंतन करना चाहिए ॥३८॥