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अशुचित्वानुप्रेक्षा
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अट्ठीहिं पडिबद्धं, मंसविलित्तं तएण ओच्छण्णं ।
किमिसंकुलेहिं भरियमचोक्खं देहं सयाकालं ॥43॥
अन्वयार्थ :
यह शरीर हडिड्यों से बना है, मांस से लिपटा है, चर्मसे आच्छादित है, कीटसंकुलों से भरा है और सदा मलिन रहता है ॥४३॥