रस रूहिर मंसमेदट्ठी मज्‍जसकुलं मुत्तपूवकिमिबहुलं ।
दुग्‍गंधमसुचि चम्‍ममयमणिच्‍चमचेयणं पडणं ॥45॥
अन्वयार्थ : यह शरीर रस, रूधिर, मांस, चर्बी, हड्डी तथा मज्‍जासे युक्‍त है। मूत्र, पीब और कीड़ों से भरा है, दुर्गंधित है, अपवित्र है, चर्ममय है, अनित्‍य है, अचेतन है और पतनशील है---नश्र्वर है ॥४५॥