+ आस्रवानुप्रेक्षा -
मिच्‍छत्‍तं अविरमणं, कसायजोगा य आसवा होंति ।
पण पण चउ तिय भेदा, सम्‍मं परिकित्तिदा समए ॥47॥
अन्वयार्थ : मिथ्‍यात्‍व, अविरति, कषाय और योग ये आस्रव हैं। उक्‍त मिथ्‍यात्‍व आदि आस्रव क्रम से पाँच, पाँच, चार और तीन भेदों से युक्‍त हैं। आगम में इनका अच्‍छी तरह वर्णन किया गया है॥४७॥