+ मिथ्‍यात्‍व तथा अविरति के पाँच भेद -
एयंतविणयविवरियसंसयमण्‍णाणमिदि हवे पंच ।
अविरमणं हिंसादी, पंचविहो सो हवइ णियमेण ॥48॥
अन्वयार्थ : एकांत, विनय, विपरीत, संशय और अज्ञान यह पाँच प्रकार का मिथ्‍यात्‍व है तथा हिंसा आदि के भेद से पाँच प्रकार की अविरति नियम से होती है ॥४८॥