असुहेदरभेदेण दु, एक्‍केक्‍कं वण्णिदं हवे दुविहं ।
आहारादी सण्‍णा, असुहमणं इदि विजाणेहि ॥50॥
अन्वयार्थ : मन वचन काय इन तीनों योगों में से प्रत्‍येक योग अशुभ और शुभ के भेद से दो प्रकार का कहा गया है। आहार आदि संज्ञाओं का होना अशुभ मन है ऐसा जानो ॥५०॥