आसवहेदू जीवो, जम्मसमुद्दे णिमज्जदे खिप्पं ।
आसवकिरिया तम्हा, मोक्खणिमित्तं ण चिंतेज्जो ॥58॥
अन्वयार्थ :
आस्रव के कारण जीव संसाररूपी समुद्रमें शीघ्र डूब जाता है इसलिए आस्रवरूप क्रिया मोक्ष का निमित्त नहीं है ऐसा विचार करना चाहिए ॥५८॥