
उत्तमखममद्दवज्जवसच्चसउच्चं च संजमं चेव ।
तवचागमकिंचण्हं, बम्हा इदि दसविहं होदि ॥70॥
अन्वयार्थ : उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्त्म सत्य, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य ये मुनिधर्म के दश भेद हैं ॥७०॥