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सत्यधर्म का लक्षण
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परसंतावणकारणवयणं मोत्तूण सपरहिदवयणं ।
जो वददि भिक्खु तुरियो, तस्स दु धम्मं हवे सच्चं ॥74॥
अन्वयार्थ :
दूसरों को संताप करनेवाले वचन को छोड़कर जो भिक्षु स्वपरहितकारी वचन बोलता है उसके चौथा सत्यधर्म होता है ॥७४॥