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क्षायाोपशमिक ज्ञान हेय
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कम्मुदयजपज्जायां, हेयं खाओवसमियणाणं तु ।
सगदव्वमुवादेयं, णिच्छयत्ति होदि सण्णाणं ॥84॥
अन्वयार्थ :
कर्मोदय से होने वाली पर्याय होने के कारण क्षायोपशमिक ज्ञान हेय है और आत्मद्रव्य उपादेय है ऐसा निश्चय होना सम्यग्ज्ञान है ॥८४॥