+ बारह अनुप्रेक्षायें ही प्रत्‍याख्‍यान तथा प्रतिक्रमण आदि -
बारस अणुवेक्‍खाओ, पच्‍चक्‍खाणं तहेव पडिकमणं ।
आलोयणं समाहिं, तम्‍हा भावेज्‍ज अणुवेक्‍खं ॥87॥
अन्वयार्थ : ये बारह अनुप्रेक्षाएँ ही प्रत्‍याख्‍यान, प्रतिक्रमण, आलोचना और समाधि हैं इसलिए इन अनुप्रेक्षाओं की निरंतर भावना करनी चाहिए ॥८७॥