+
बारह अनुप्रेक्षाओं का फल
-
मोक्खगया जे पुरिसा, अणाइकालेण बार अणुवेक्खं ।
परिभाविऊण सम्मं, पणमामि पुणो पुणो तेसिं ॥89॥
अन्वयार्थ :
जो पुरूष अनादिकाल से बारह अनुप्रेक्षाओं को अच्छी तरह चिंतन कर मोक्ष गये हैं मैं उन्हें बार बार प्रणाम करता हूँ ॥८९॥
loading