
किं पलविएण बहुणा, जे सिद्धा णरवरा गये काले ।
सिज्झिहदि जेवि भविया, तं जाणह तस्स माहप्पं ॥90॥
अन्वयार्थ : बहुत कहने से क्या लाभ है? भूतकाल में जो श्रेष्ठ पुरूष सिद्ध हुए हैं और जो भविष्यत् काल में सिद्ध होवेंगे उसे अनुप्रेक्षा का महत्व जानो ॥९०॥