
प्रभाचन्द्राचार्य :
उपवासदिने चोपोषितेन किं कर्तव्यमित्याह -- उपवासदिने परिहृतिं परित्यागं कुर्यात् । केषाम् ? पञ्चानां हिंसादीनाम् । तथा अलङ्क्रियारम्भगन्धपुष्पाणाम् अलङ्क्रियामण्डनं आरम्भो वाणिज्यादिव्यापार: गन्धपुष्पाणामित्युपलक्षणं रागहेतूनां गीतनृत्यादीनाम् । तथा स्नानाञ्जननस्यानां स्नानं च अञ्जनं च नस्यञ्च तेषाम् ॥ |
आदिमति :
उपवास करने वाले व्यक्ति को उपवास के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह इन पाँच पापों का त्याग करना चाहिए । तथा शरीर-सज्जा, वाणिज्यादि व्यापार, गन्धपुष्प आदि के प्रयोग का और स्नान, अञ्जन, नस्यादि के सेवन का त्याग करना चाहिए । यह सब उपलक्षण हैं, अत: इसमें गीत, नृत्यादि राग के सभी कारणों का त्याग भी आ जाता है । |