+ निश्चय आराधना -
सुद्धणये चउखंधं उत्तं आराहणाए एरिसियं ।
सव्ववियप्पविमुक्को सुद्धो अप्पा णिरालंबो ॥8॥
शुद्धनये चतुःस्कन्धमुक्तं आराधनाया ईदृशम् ।
सर्वविकल्पविमुक्तः शुद्ध आत्मा निरालम्बः ॥८॥
होती यह मुनिराज के, चार भेद से युक्त ।
निश्चय शुद्धाराधना, सर्व विकल्प विमुक्त ॥८॥
अन्वयार्थ : [सुद्धणये] निश्चय नय में [आराहणाए] आराधना के [चउखंधं] सम्यग्दर्शनादि चार भेदों का समूह [एरिसियं उत्तं] इस रीति से कहा गया है कि [सव्ववियप्पविमुक्को] समस्त विकल्पों से रहित [सुद्धो] शुद्ध और [णिरालंबो] बाह्य आलम्बन से रहित [अप्पा] आत्मा ही [आराहणा अत्थि] आराधना है ।