+ व्यवहार आराधना साधन -
पज्जयणयेण भणिया चउव्विहाराहणा हु जा सुत्ते ।
सा पुणु कारणभूदा णिच्छयणयदो चउक्कस्स ॥12॥
पर्यायनयेन भणिता चतुर्विधाराधना हि या सूत्रे ।
सा पुनः कारणभूता निश्चयनयश्चतुष्कस्य ॥१२॥
पर्ययनय से सूत्र में, कही गईं ये चार ।
होता निश्चय धर्म का, इससे अति उपकार ॥१२॥
अन्वयार्थ : [हु] निश्चय से [सुत्ते] परमागम में [पज्जयणयेण] भेदनय से [जा] जो [चउव्विहाराहणा] चार प्रकार की आराधना [भणिया] कही गई है [सा पुणु] वही आराधना [णिच्छयणयदो चउक्कस्स] निश्चयनय से कही जाने वाली चार आराधनाओं का [कारणभूदा] कारण [अत्थि] है ।