सत्संयमपय: पूरवित्रिजगत्त्रयम् ।
शान्तिनाथं नमस्यामि विश्वविघ्नौघशान्तये ॥4॥
अन्वयार्थ : सम्यक-चारित्ररूप जल के प्रवाह से तीनों जगत को पवित्र किया है जिनने ऐसे श्री शान्तिनाथ तीर्थकर भगवान् को मैं समस्त विघ्न-समूह की शान्ति के लिये नमस्कार करता हूँ ।
वर्णीजी