निष्कलंकं निराबाधं सानन्दं स्वस्वभावजम्‌ ।
वदन्ति योगिनो मोक्षं विपक्षं जन्मसन्तते: ॥45॥
अन्वयार्थ : मोक्ष निःकलंक (कालिमा से रहित) है, बाधा (पीड़ा) रहित है, आनंद सहित है, अपने स्वभाव से उत्पन्न है और संसार का विपक्षी (शत्रु) है।

  वर्णीजी