
नायाता नैव यास्यन्ति केनापि सह योषित: ।
तथाप्यज्ञा: कृते तासां प्रविशन्ति रसातलम् ॥18॥
अन्वयार्थ : इस संसार में स्त्रियाँ न तो किसी के साथ आई और न किसी के साथ जायेंगी, तथापि मूढ़जन इनके लिये निन्द्य कार्य करके नरकादिक में प्रवेश करते हैं। यह बड़ा अज्ञान है ।
वर्णीजी