वर्णीजी
गर्भादारभ्य नीयन्ते प्रतिक्षणमखण्डितै: ।
प्रयाणै: प्राणिनो मूढ कर्मणा यममन्दिरम् ॥8॥
अन्वयार्थ :
हे मूढ़ प्राणी ! आयुनामा कर्म जीवों को गर्भावस्था से ही निरंत प्रतिक्षण अपने प्रयाणों
(मंजिलों)
से यम-मंदिर की तरफ ले जाता है, सो उसे देख !
वर्णीजी