यदि दृष्ट: श्रुतो वास्ति यमाज्ञावञ्चको बली ।
तमाराध्य भज स्वास्थ्यं नैव चेत्किं वृथा श्रम: ॥9॥
अन्वयार्थ : हे प्राणी ! यदि तूने किसी को यमराज की आज्ञा का लोप करनेवाला बलवान पुरुष देखा वा सुना हो, तो तू उसी की सेवा कर (उसकी शरण लेकर निश्चिन्त
हो रह), और यदि ऐसा कोई बलवान्‌ देखा वा सुना नहीं है, तो तेरा खेद करना व्यर्थ है ।

  वर्णीजी