गजाश्वरथसैन्यानि मन्त्रौषधबलानि च ।
व्यर्थीभवन्ति सर्वाणि विपक्षे देहिनां यमे ॥12॥
अन्वयार्थ : जब यह काल जीवों के विरुद्ध होता है अर्थात् जगत के जीवों को ग्रसता है तथा नष्ट करता है तब हाथी, घोड़ा, रथ, सेना, तन्त्र, मन्त्र, औषधि, पराक्रमादि सब ही व्यर्थ हो जाते हैं ।

  वर्णीजी