वर्णीजी
मनस्तनुवच:कर्म योग इत्यभिधीयते ।
स एवास्रव इत्युक्तस्तत्त्वज्ञानविशारदै: ॥1॥
अन्वयार्थ :
मन-वचन-काय की क्रिया को योग कहते हैं और इस योग को ही तत्वविशारदों
(ऋषियों)
ने आस्रव कहा है।
वर्णीजी