तितिक्षा मार्दवं शौचमार्जवं सत्यसंयमौ ।
ब्रह्मचर्यं तपस्त्यागाकिञ्चन्यं धर्म उच्यते ॥20॥
अन्वयार्थ : १-क्षमा, २-मार्दव, ३-शौच, ४-आर्जव, ५-सत्य, ६-संयम, ७-ब्र्रह्मचर्य, ८- तप, ९-त्याग और १०-आिंकचन्य, ये दस प्रकार के धर्म हैं ॥२०॥

  वर्णीजी