
अधो वेत्रासनाकारो मध्ये स्याज्झल्लरीनिभ: ।
मृदङ्गसदृशश्चाग्रे स्यादित्थं स त्रयात्मक: ॥5॥
अन्वयार्थ : यह लोक नीचे तो वेत्रासन अर्थात् मोढ़े के आकार का है अर्थात् नीचे से चौड़ा है, पीछे ऊपर-ऊपर घटता आया है और बीच में झालर के जैसा है तथा ऊपर मृदंग के समान अर्थात् दोनों तरफ सकरा और बीच में चौड़ा है। इस प्रकार तीन स्वरूपात्मक यह लोक स्थित है ॥५॥
वर्णीजी