जम्हा चरित्तसारो, भणिदा आराहणा पवयणम्मि ।
सव्वस्स पवयणस्स य, सारो आराहणा तम्हा॥14॥
जिन-प्रवचन में आराधन को कहा गया चारित का सार ।
अतः जानना आराधन को ही सम्पूर्ण जिनागम-सार॥14॥
अन्वयार्थ : अत: प्रवचन जो भगवान का आगम, उसमें चारित्र के साररूप फल को आराधना कहा है । इसलिए सम्पूर्ण जिनागम का सार आराधना है ।
सदासुखदासजी