जोग्गो भाविदकरणो सत्तू जेदूण जुद्धरंगम्मि ।
जह सो कुमारमल्लो रज्जपडागं बला हरदि॥22॥
जैसे युद्ध भूमि में कोई करे शत्रु पर सफल प्रहार ।
राज्य पताका बल पूर्वक फहराता है वह मल्ल कुमार2॥22॥
अन्वयार्थ : जैसे शत्रुओं पर अपने शस्त्र का वार निष्फल न जाये और वैरियों के अनेक शस्त्रों के वार निष्फल हो जायें, अपने को न लगने देवें और जिसने कुमार-अवस्था से ही मल्लविद्या का अभ्यास किया है - ऐसा युद्ध के योग्य राजपुत्र युद्ध की रंगभूमि में शत्रुओं को जीतकर बलपूर्वक राज्य पताका को प्राप्त कर लेता है ।
सदासुखदासजी