पं-सदासुखदासजी
पायोपगमणमरणं भत्तपइण्णा य इंगिणी चेव ।
तिविहं पंडिदमरणं साहुस्स जहुत्तचारिस्स॥29॥
आगमोक्त चारित्र सुशोभित मुनिवर पण्डितमरण गहे ।
भक्त-प्रतिज्ञा, इंगनी अरु प्रायोपगमन त्रय भेद लहें॥29॥
सदासुखदासजी