पं-सदासुखदासजी
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आगे सम्यग्दृष्टि जीव का स्वभाव कहते हैं-
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सम्मादिट्ठी जीवो उवइट्ठं पवयणं तु सद्दहदि ।
सद्दहदि असब्भावं अजाणमाणो गुरुणियोगा॥32॥
सम्मोदट्ठी जीवाि उवइट्ठं वियणं तु सद्दहेद ।
सद्दहेद असब्भावं अजाणमाणाि गुरुेणयागिा॥32॥
सदासुखदासजी