सुविहयमिमं पवयणं असद्दहंतेणिमेण जीवेण ।
बालमरणाणि तीदे मदाणि काले अणंताणि॥42॥
जिनवर-प्रवचनकीश्रद्धानहिंकरताहुआ अरेयह जीव ।
काल अनन्त बिताये इसने बाल-बाल कर मरण सदैव॥42॥
अन्वयार्थ : अच्छी तरह कहा गया भगवान के परमागम का भी श्रद्धान नहीं करते हुए इस जीव ने अतीत काल/भूतकाल में अनंत बाल-बालमरण किये । इस गाथा में बाल शब्द है, उसका अर्थ बाल-बाल समझना ।
सदासुखदासजी