+ और भी मिथ्यात्व के दोष बताने के लिये दृष्टांत कहते हैं- -
दिवसेण जोयणसयं पि गच्छमाणो सगिच्छिदं देसं ।
अण्णंतो गच्छंतो जह पुरिसो णेव पाउणदि॥61॥
ज्यों कोई विपरीत दिशा में प्रतिदिन सौ योजन जाए ।
तो भी निश्चित लक्ष्य बिन्दु को कभी नहीं वह प्राप्त करेे॥61॥

  सदासुखदासजी