पं-सदासुखदासजी
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और भी लोचनजनित गुण कहते हैं-
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अप्पा दमिदो लोएण होइ ण सुहे य संगमुवयादि ।
साधीणदा य णिद्दोसदा य देहे य णिम्ममदा॥93॥
केशलोंच से आत्मनियन्त्रण तन-सुख में आसक्ति विहीन ।
तन के प्रति निर्ममता अरु निर्दाेष तथा परिणति स्वाधीन॥93॥
सदासुखदासजी