जाव य खेमसुभिक्खं आयरिया जाव णिज्जवणजोग्गा ।
अत्थि तिगारवरहिदा णाणचरणदंसणविसुद्धा॥164॥
जब तक क्षेम सुभिक्ष रहे निर्यापकत्व योग्य आचार्य ।
गारव तीन रहित हों, निर्मल दर्शन एवं ज्ञान चरित्र॥164॥

  सदासुखदासजी