+ वह छठी भावना कैसी है, उसे कहते हैं - -
तवभावणा य सुदसत्तभावणेगत्तभावणे चेव ।
धिदिबलविभावणाविय असंकिलिठ्ठावि पंचविहा॥192॥
तप श्रुत सत्त्व और एकत्व तथा धृतिबल भावना सुजान ।
ये सब पंच प्रकार भावना संक्लेश से रहित सुजान॥192॥
अन्वयार्थ : संक्लेश रहित छठी भावना पाँच प्रकार की है । तपोभावना, श्रुतभावना, सत्त्वभावना, एकत्वभावना, धृतिबलभावना - इस तरह असंक्लिष्टभावना पाँच प्रकार की जानना ।

  सदासुखदासजी