पं-सदासुखदासजी
कसिणा परीसहचमू अब्भुठ्ठइ जइ वि सोवसग्गावि ।
दुद्धरपहकरवेगा भयजणणी अप्पसत्ताणं॥207॥
केसणा रिीसहचमू अब्भुठ्ठइ जइ ेव साविसग्गोव ।
दुद्धरहिकरवगिा भयजणणी अप्सित्ताणं॥207॥
सदासुखदासजी